स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग -7 ("Rasidi Ticket",Amrita Pritam's biography, epi-7)
Manage episode 317080066 series 3275321
लाहौर में जब कभी साहिर मिलने के लिए आता था ,तो जैसे मेरी ही ख़ामोशी में से निकला हुआ खामोशी का एक टुकड़ा कुर्सी पर बैठता था और चला जाता था.....
वह चुपचाप सिगरेट पीता रहता था ,कोई आधी सिगरेट पी कर राखदानी में बुझा देता था ,फिर नयी सिगरेट सुलगा लेता था ,और उसके जाने के बाद केवल सिगरटों के बड़े -बड़े टुकड़े कमरे में रह जाते थे।
कभी ... एक बार उसके हाथ को छूना चाहती थी ,पर मेरे सामने मेरे ही संस्कारों की एक वह दूरी थी ,जो तय नहीं होती थी....
तब भी कल्पना की करामात का सहारा लिया था।
उसके जाने के बाद ,मैं उसके छोड़े हुए सिगरटों के टुकड़ों को संभाल कर अलमारी में रख लेती थी ,और फिर एक -एक टुकड़े को अकेले में बैठकर जलाती थी ,और जब उँगलियों के बीच पकड़ती थी ,तो लगता था ,जैसे उसका हाथ छू रही हूँ .....
35 επεισόδια