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https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-14-A-SBUSA-BG.mp3

01-14-A

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ।

माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।।1.14।।

पदच्छेतः

ततः, श्वेतैः, हयैः, युक्ते, महति, स्यन्दने, स्थितौ।

माधवः, पाण्डवः, च, एव, दिव्यौ, शङ्खौ, प्रदध्मतुः॥

पदपरिचयः

पदम् विवरणम् पदम् विवरणम्
ततः अव्ययम् श्वेतैः अ. पुं. त्रि. बहु.
हयैः अ. पुं. त्रि. बहु. युक्ते अ. नपुं?. स. एक.
महति अ. नपुं?. स. एक. स्यन्दने अ. नपुं?. स. एक.
स्थितौ अ. पुं. प्र. द्विव. माधवः अ. पुं. प्र. एक.
पाण्डवः अ. पुं. प्र. एक. अव्ययम्
एव अव्ययम् दिव्यौ अ. पुं. द्वि. द्विव.
शङ्खौ अ. पुं. द्वि. द्विव. प्रदध्मतुः ध्मा -पर. कर्तरि. लिट्. प्रपु. द्विव.

पदार्थः

पदम् अर्थः पदम् अर्थः
ततः तस्मात्परम् माधवः श्रीकृष्णः
पाण्डवाश्च अर्जुणश्च श्वतैः धवलैः
हयैः अश्वैः युक्ते सम्युक्ते
महति विशाले स्यन्दने रथे
स्थितौ उपविष्टौ दिव्यौ अलौकिकौ
शङ्खौ शङ्खौ प्रदध्मतुः ध्मातवन्तौ

अन्वयः

ततः माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः हयैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।

आकाङ्क्षा

प्रदध्मतुः
कौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कीदृशौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कथंभूतौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कुत्र स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कीदृशे स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च पुनश्च कीदृशे महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कीदृशैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
कस्मातपरं माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? ततः माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।

तात्पर्यम्

ततः पश्चात् भगवान् श्रीकृष्णः अर्जुनश्च धवलवर्णैः अश्वैः उह्यमानेन महता रथेन तत्र समागतौ। तौ च युद्धोत्साहवर्धनाय स्वीयौ अलौकिकौ शङ्खौ ध्मातवन्तौ।

व्याकरणम्

सन्धिः

श्वेतैर्हयैः श्वेतैः + हयैः विसर्गसन्धिः (रेफः)
श्वेतैर्हयैर्युक्ते श्वेतैर्हयैः + युक्ते विसर्गसन्धिः (रेफः)
पाण्डवश्च पाण्डवः + च विसर्गसन्धिः (सकारः) श्चुत्वम्
पाण्डवश्चैव पाण्डवश्च + एव वृद्धिसन्धिः

समासः

माधवः मायाः (लक्ष्म्याः) धवः षष्ठितत्पुरुषः

कृदन्तः

स्यन्दने स्यन्द् + ल्युट् (करणे), तस्मिन्।

स्यन्दन्ते (गच्छन्ति) अनेन इति स्यन्दनम्।

स्थितौ स्था + क्त। (कर्तरि)

तद्धितान्तः

पाण्डवः पाण्डु + अण् (अपत्यार्थे)। पाण्डोः अपत्यं पुमान्।
दिव्यौ दिव् + यत् (भवार्थे)। दिवि भवौ।
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ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ।

माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।।1.14।।

पदच्छेतः

ततः, श्वेतैः, हयैः, युक्ते, महति, स्यन्दने, स्थितौ।

माधवः, पाण्डवः, च, एव, दिव्यौ, शङ्खौ, प्रदध्मतुः॥

पदपरिचयः

पदम् विवरणम् पदम् विवरणम्
ततः अव्ययम् श्वेतैः अ. पुं. त्रि. बहु.
हयैः अ. पुं. त्रि. बहु. युक्ते अ. नपुं?. स. एक.
महति अ. नपुं?. स. एक. स्यन्दने अ. नपुं?. स. एक.
स्थितौ अ. पुं. प्र. द्विव. माधवः अ. पुं. प्र. एक.
पाण्डवः अ. पुं. प्र. एक. अव्ययम्
एव अव्ययम् दिव्यौ अ. पुं. द्वि. द्विव.
शङ्खौ अ. पुं. द्वि. द्विव. प्रदध्मतुः ध्मा -पर. कर्तरि. लिट्. प्रपु. द्विव.

पदार्थः

पदम् अर्थः पदम् अर्थः
ततः तस्मात्परम् माधवः श्रीकृष्णः
पाण्डवाश्च अर्जुणश्च श्वतैः धवलैः
हयैः अश्वैः युक्ते सम्युक्ते
महति विशाले स्यन्दने रथे
स्थितौ उपविष्टौ दिव्यौ अलौकिकौ
शङ्खौ शङ्खौ प्रदध्मतुः ध्मातवन्तौ

अन्वयः

ततः माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः हयैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।

आकाङ्क्षा

प्रदध्मतुः
कौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कीदृशौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कथंभूतौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कुत्र स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कीदृशे स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च पुनश्च कीदृशे महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
माधवः पाण्डवश्च कीदृशैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।
कस्मातपरं माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः? ततः माधवः पाण्डवश्च श्वेतैः अश्वैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।

तात्पर्यम्

ततः पश्चात् भगवान् श्रीकृष्णः अर्जुनश्च धवलवर्णैः अश्वैः उह्यमानेन महता रथेन तत्र समागतौ। तौ च युद्धोत्साहवर्धनाय स्वीयौ अलौकिकौ शङ्खौ ध्मातवन्तौ।

व्याकरणम्

सन्धिः

श्वेतैर्हयैः श्वेतैः + हयैः विसर्गसन्धिः (रेफः)
श्वेतैर्हयैर्युक्ते श्वेतैर्हयैः + युक्ते विसर्गसन्धिः (रेफः)
पाण्डवश्च पाण्डवः + च विसर्गसन्धिः (सकारः) श्चुत्वम्
पाण्डवश्चैव पाण्डवश्च + एव वृद्धिसन्धिः

समासः

माधवः मायाः (लक्ष्म्याः) धवः षष्ठितत्पुरुषः

कृदन्तः

स्यन्दने स्यन्द् + ल्युट् (करणे), तस्मिन्।

स्यन्दन्ते (गच्छन्ति) अनेन इति स्यन्दनम्।

स्थितौ स्था + क्त। (कर्तरि)

तद्धितान्तः

पाण्डवः पाण्डु + अण् (अपत्यार्थे)। पाण्डोः अपत्यं पुमान्।
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